Wednesday, 18 May 2016

चलता जा रहा हूँ......







चलता जा रहा हूँ...
pic by Azad

बस चलता जा रहा हूँ...

है ये कौन सा सफ़र
ना है कोई रहबर
ना दुनिया की
ना खुद की ख़बर

रोड़े आ रहे है
ठोकर खा रहा हूँ
चलता जा रहा हूँ...

मंज़िल देखो
आँख मिचौली
तो नहीं खेल रही
या
मरीचिका तो नहीं
नहीं नहीं

दिल को समझाता
हांथो को
पंख सा फैलाता

ललक है
पाने की ऊँचाइयों को
विस्तृत गगन में
उड़ता जा रहा हूँ
चलता जा रहा हूँ...
बस चलता जा रहा हूँ...
.............................


आज़ाद

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